नोएडा: भारतीय बौद्ध महासभा की उत्तर प्रदेश शाखा ने संसद भवन परिसर से बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर और महात्मा गांधी की प्रतिमाओं को हटाए जाने पर अपने भड़काऊ प्रदर्शन के माध्यम से अपनी आपत्ति दर्ज कराई है। महासभा के सदस्यों ने इस मामले में संसदीय स्थिति को दरकिनार करते हुए उच्चतम अदालत में याचिका दायर की है।
इस परिस्थिति के संबंध में महासभा के प्रमुख ने बताया कि इस हटाए जाने की कार्रवाई को उन्होंने बेहद दुर्भाग्यपूर्ण माना है। उन्होंने कहा, “बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर और महात्मा गांधी जैसे महान व्यक्तियों की प्रतिमाएं हटाकर संसद भवन की स्थिति विवादास्पद बनाने की कोशिश की जा रही है।”
महासभा के सदस्यों ने इस मुद्दे पर सार्वजनिक रूप से अपनी आपत्ति जाहिर की है और एक मेमोरेंडम भी संसद के उच्च अधिकारियों को प्रेषित किया है। उन्होंने यह भी जताया कि उनका मुख्य ध्येय यह है कि देश की ऐतिहासिक प्रतिमाएं सम्मानित रहें और उनका सम्मान बरकरार रहे।
इस मामले में नोएडा और पूरे प्रदेश में बौद्ध समुदाय के सदस्यों की ओर से भी तनाव महसूस किया गया है। वे इस मामले को गंभीरता से लेकर चर्चा कर रहे हैं और सरकार से प्रत्यक्ष तौर पर सम्बंधित कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
इस संबंध में सोशल मीडिया पर भी बहुतायत में राय व्यक्त की गई है और लोगों ने अपनी आलोचनाएं जताई हैं। वहीं, सरकारी स्तर पर भी इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है और अगली कार्रवाई को लेकर चर्चाएं चल रही हैं।
अब यह देखना होगा कि इस मामले में आगे क्या कदम उठाया जाता है और क्या संसद भवन पर स्थायी समाधान निकाला जाता है। बौद्ध समुदाय के सदस्यों की मांग है कि स्थिति को स्थायी रूप से सुलझाया जाए और बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर और महात्मा गांधी की प्रतिमाओं को पुनः स्थापित किया जाए।