नोएडा: भारत सरकार ने फ्लोर स्पेस इंडेक्स (FSI) चार्ज पर 18% जीएसटी लगाने की घोषणा की है। इस फैसले से रियल एस्टेट क्षेत्र में निर्माण लागत बढ़ने और मकानों की कीमतों में वृद्धि होने की संभावना जताई जा रही है।
क्या है एफएसआई चार्ज?
फ्लोर स्पेस इंडेक्स (FSI), जिसे फ्लोर एरिया रेशियो (FAR) भी कहा जाता है, किसी भूखंड पर निर्माण की अधिकतम मंजूरी प्राप्त क्षेत्रफल को दर्शाता है। डेवलपर्स अतिरिक्त एफएसआई खरीदकर परियोजनाओं का विस्तार करते हैं। अब इन अतिरिक्त एफएसआई चार्ज पर 18% जीएसटी लगेगा, जिससे परियोजनाओं की लागत बढ़ेगी।
डेवलपर्स की चिंता
रियल एस्टेट डेवलपर्स की संस्था CREDAI ने इस फैसले पर कड़ी आपत्ति जताई है। संस्था ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखकर कहा है कि यह कदम किफायती आवास योजनाओं को प्रभावित करेगा और मकानों की कीमतों में 7-10% तक वृद्धि कर सकता है। इससे मध्यम वर्गीय घर खरीदारों पर भारी आर्थिक बोझ पड़ेगा।
क्रेडाई का बयान
CREDAI के अध्यक्ष बोमन ईरानी ने कहा, “एफएसआई चार्ज किसी भी परियोजना की लागत का महत्वपूर्ण हिस्सा है। इन पर 18% जीएसटी लगाने से निर्माण लागत और मकानों की कीमतें दोनों बढ़ेंगी। यह निर्णय रियल एस्टेट क्षेत्र के विकास को बाधित कर सकता है।”
पुरानी परियोजनाओं पर असर
डेवलपर्स को इस बात की भी चिंता है कि यदि यह कर पूर्वव्यापी (retrospective) रूप से लागू हुआ, तो चल रही और पूरी हो चुकी परियोजनाओं की वित्तीय योजना बाधित हो सकती है। इससे परियोजनाओं में देरी और खरीदारों के वित्तीय हितों को नुकसान पहुंचने का खतरा बढ़ जाएगा।
सरकार से पुनर्विचार की मांग
क्रेडाई ने सरकार से अपील की है कि वह इस फैसले पर पुनर्विचार करे और एफएसआई चार्ज को जीएसटी से मुक्त रखे। इससे आवासीय परियोजनाओं की मांग और आपूर्ति संतुलित रहेगी।
घर खरीदना होगा महंगा
निर्माण सामग्री की बढ़ती कीमतों के बीच इस अतिरिक्त जीएसटी से डेवलपर्स और घर खरीदार दोनों पर वित्तीय दबाव बढ़ेगा। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे रियल एस्टेट सेक्टर में मंदी आ सकती है।
इस नए फैसले के लागू होने से देशभर में रियल एस्टेट क्षेत्र पर बड़ा प्रभाव पड़ने की संभावना है। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि सरकार इस मामले पर क्या कदम उठाती है।