नोएडा प्राधिकरण के अफसरों पर सत्ताधारी पार्टी के एक सांसद के भतीजे को फायदा पहुंचाने का आरोप लगा है। सांसद के प्रभाव के चलते नोएडा प्राधिकरण ने वो कदम उठाए हैं, जिनसे सरकारी अधिकारी अक्सर बचते हैं। पारस टिएरा सोसायटी के बकाये के बोर्ड रातों रात बदल दिए गए, जिससे एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया है।
पारस टिएरा सोसायटी का निर्माण बीजेपी के एक सांसद के भतीजे की कंपनी इंपीरियल हाउसिंग वेंचर्स प्राइवेट लिमिटेड ने किया है। इस कंपनी पर नोएडा प्राधिकरण का करीब 349 करोड़ रुपये का बकाया है। कुछ दिन पहले, नोएडा प्राधिकरण ने सोसाइटी में बोर्ड लगाकर गैर बिक्री संपत्ति को बेचने पर रोक लगा दी थी। बोर्ड में स्पष्ट रूप से इस बात की जानकारी दी गई थी कि संपत्ति की बिक्री नहीं की जा सकती है। लेकिन अब इस मामले में बड़ा खेल हो गया है।
प्राधिकरण ने सांसद के प्रभाव के चलते बिल्डर को दी बड़ी राहत
नोएडा प्राधिकरण ने सांसद के प्रभाव के चलते बिल्डर को बड़ी राहत दी है। पहले लगे बोर्ड की वजह से बिल्डर किसी भी संपत्ति को बेच नहीं पा रहा था। लेकिन प्राधिकरण के अधिकारियों की मिलीभगत से अब यह खेल हो गया है। प्राधिकरण ने सभी पुराने बोर्ड हटा दिए हैं और नए बोर्ड लगा दिए गए हैं। नए बोर्ड में संपत्ति की बिक्री पर रोक की बात कहीं भी अंकित नहीं है। यह खेल केवल बिल्डर को फायदा पहुंचाने के लिए किया गया है।
सोसाइटी के अध्यक्ष का आरोप, सांसद के प्रभाव के चलते हुआ खेल
सोसाइटी के अध्यक्ष रमेश गौतम का आरोप है कि बीजेपी के एक सांसद के भतीजे ने अभी तक प्राधिकरण में बकाया का कोई पैसा जमा नहीं किया है। इसके बावजूद, नोएडा प्राधिकरण ने बोर्ड बदल दिए हैं। रमेश गौतम का कहना है कि बिल्डर सांसद का भतीजा है और सांसद की पहुंच के चलते ही नोएडा प्राधिकरण ने यह खेल किया है।
सोसाइटी के निवासियों ने भी इस मुद्दे पर नाराजगी जाहिर की है। उनका कहना है कि यह एक स्पष्ट मामला है जहां प्राधिकरण ने अपने कर्तव्यों का पालन नहीं किया है और केवल एक विशेष व्यक्ति को फायदा पहुंचाने के लिए नियमों का उल्लंघन किया है। निवासियों ने इस मामले में उच्च अधिकारियों से जांच की मांग की है और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की अपील की है।
बिल्डर पर बकाया है 349 करोड़ रुपये
यह ध्यान देने योग्य है कि इंपीरियल हाउसिंग वेंचर्स प्राइवेट लिमिटेड पर नोएडा प्राधिकरण का 349 करोड़ रुपये का बकाया है। यह रकम बड़ी है और प्राधिकरण द्वारा इसे वसूल करने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। लेकिन प्राधिकरण ने इसके बजाय बिल्डर को राहत देने का काम किया है।
नोएडा प्राधिकरण की विश्वसनीयता पर उठे सवाल
इस घटना से नोएडा प्राधिकरण की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठे हैं। आम जनता का विश्वास सरकारी संस्थाओं में होता है, लेकिन ऐसे मामलों से उनका विश्वास डगमगा सकता है। यह जरूरी है कि प्राधिकरण ऐसे मामलों में पारदर्शिता बनाए रखे और सभी के साथ समान व्यवहार करे।
इस घटना ने नोएडा में राजनीतिक प्रभाव और सरकारी संस्थाओं की निष्पक्षता पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि उच्च अधिकारी इस मामले में क्या कदम उठाते हैं और जनता को कैसे संतुष्ट करते हैं। उम्मीद की जा रही है कि इस मामले में सख्त कार्रवाई की जाएगी और दोषियों को सजा दी जाएगी, ताकि भविष्य में ऐसे मामलों की पुनरावृत्ति न हो सके।