ग्रेटर नोएडा वेस्ट स्थित Ace Divino सोसाइटी में नवरात्रि के मौके पर आयोजित डांडिया और गरबा कार्यक्रम एक भावुक और हर्षोल्लास से भरा आयोजन साबित हुआ। लेकिन इस कार्यक्रम की शुरुआत से ठीक तीन घंटे पहले, सोसाइटी में महान उद्योगपति श्री रतन टाटा को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए एक शोक सभा आयोजित की गई। इस अद्वितीय कार्यक्रम में भावनात्मक और सांस्कृतिक दोनों पहलुओं का संतुलन बनाए रखना प्रमुख था, जो अक्सर बड़े आयोजनों में भूल हो जाती है।
सोसाइटी के निवासी सुरेश सैनी जी ने इस शोक सभा के आयोजन की पहल की और सभी निवासियों से सभा में शामिल होने का आग्रह किया। इस तरह के आयोजनों में कभी-कभी यह देखा जाता है कि लोग कार्यक्रमों के उत्साह में शोक सभा जैसी गंभीर गतिविधियों को प्राथमिकता नहीं देते, लेकिन इस बार सोसाइटी के सभी निवासी एकत्रित हुए और श्री रतन टाटा के प्रति अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की।
सभा के दौरान सोसाइटी के वरिष्ठ नागरिक श्री जोगेंद्र शर्मा और सोम बनर्जी ने अपनी बात रखते हुए कहा, “रतन टाटा के निधन से भारत ने एक अनमोल रत्न खो दिया है। उन्होंने सिर्फ उद्योगों को नहीं, बल्कि इंसानियत और समाज को भी अपने कार्यों से प्रभावित किया है। उनकी सोच और योगदान ने भारत को हर क्षेत्र में नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया।”
यहां एक आम गलती होती है कि शोक सभा में भावनाओं को ठीक से व्यक्त न कर पाने के कारण उसका महत्व कम हो जाता है। लेकिन इस सभा में प्रमुख रूप से रतन टाटा की ‘फोर्ड’ से जुड़ी प्रेरणादायक कहानी का उल्लेख किया गया, जिसने सभा में मौजूद लोगों को भावुक कर दिया। जब टाटा मोटर्स अपने शुरुआती समय में संघर्ष कर रही थी, तो फोर्ड कंपनी ने उसे खरीदने का प्रस्ताव दिया था। पर समय बदला और टाटा की दूरदृष्टि और कड़ी मेहनत के कारण बाद में टाटा ने फोर्ड कंपनी को खरीद लिया। यह कहानी उनकी अद्वितीय नेतृत्व क्षमता और आत्मविश्वास का प्रतीक बन गई।
शोक सभा समाप्त होने के बाद रात 8 बजे से गरबा और डांडिया कार्यक्रम शुरू किया गया। नवरात्रि के इस पावन अवसर को सोसाइटी के सभी निवासियों ने मिलकर मनाया, जिसमें बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक सभी ने भाग लिया। यह ध्यान रखना आवश्यक है कि ऐसे आयोजनों में कभी-कभी समय प्रबंधन की गलती हो जाती है, जिससे कार्यक्रम लंबा खिंच जाता है, लेकिन यहां सब कुछ समय पर और सुव्यवस्थित तरीके से हुआ।
कुल मिलाकर, Ace Divino सोसाइटी का यह आयोजन एक प्रेरणादायक उदाहरण बना कि कैसे भावनात्मक और सांस्कृतिक पहलुओं को संतुलित करके एक सफल और यादगार कार्यक्रम आयोजित किया जा सकता है।