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भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में हिंदुओं की संख्या में गिरावट: ऐतिहासिक और वर्तमान परिप्रेक्ष्य

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भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान जैसे दक्षिण एशियाई देशों में हिंदुओं की आबादी में ऐतिहासिक और वर्तमान समय में भारी गिरावट देखी गई है। यह गिरावट धार्मिक उत्पीड़न, सामाजिक असहिष्णुता और राजनीतिक अस्थिरता का परिणाम है। इन देशों में हिंदुओं को जबरन धर्मांतरण, सामाजिक भेदभाव, और हिंसा का सामना करना पड़ा है।


1. पाकिस्तान में हिंदुओं की स्थिति

1947 के विभाजन के समय:

  • भारत और पाकिस्तान के विभाजन के समय पाकिस्तान में हिंदुओं की आबादी 20% थी।
  • वर्तमान में, यह घटकर 1.85% रह गई है।

मुख्य समस्याएं:

  • धार्मिक उत्पीड़न:
    हिंदुओं के खिलाफ जबरन धर्मांतरण, अपहरण, और हिंसा की घटनाएं आम हैं।
  • सामाजिक भेदभाव:
    शिक्षा, नौकरियों और सरकारी सहायता में हिंदुओं के साथ भेदभाव होता है।
  • सांख्यिकीय गिरावट:
    हिंदुओं की आबादी सिंध प्रांत में अधिक है, लेकिन वहां भी उनकी स्थिति चिंताजनक बनी हुई है।
  • अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया:
    पाकिस्तान में धार्मिक अल्पसंख्यकों की स्थिति को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंता व्यक्त की गई है।

2. बांग्लादेश में हिंदुओं की स्थिति

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि:

  • विभाजन के समय (1947) पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) में हिंदुओं की आबादी लगभग 28% थी।
  • 1971 में बांग्लादेश की स्वतंत्रता के समय यह संख्या घटकर 20% रह गई।
  • वर्तमान में हिंदुओं की आबादी घटकर 8% से कम हो गई है।

उत्पीड़न के कारण:

  • 1971 का नरसंहार:
    पाकिस्तानी सेना ने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान हिंदुओं को निशाना बनाया।
  • जबरन धर्मांतरण और भूमि अधिग्रहण:
    “वेस्टेड प्रॉपर्टी एक्ट” के तहत हिंदुओं की संपत्तियां जब्त की गईं।
  • धार्मिक हिंसा:
    1990, 2001 और 2013 में बड़े पैमाने पर हिंदू विरोधी दंगे हुए।
  • 2021 की दुर्गा पूजा हिंसा:
    हिंदू मंदिरों और उनके अनुयायियों को निशाना बनाया गया।

3. अफगानिस्तान में हिंदुओं की स्थिति

ऐतिहासिक स्थिति:

  • 1970 के दशक तक अफगानिस्तान में हिंदुओं और सिखों की संख्या 70,000 के करीब थी।
  • 1990 में तालिबान के उदय के बाद उनकी संख्या तेजी से घटने लगी।
  • आज, अफगानिस्तान में हिंदुओं और सिखों की संख्या सैकड़ों में सिमट गई है।

उत्पीड़न के कारण:

  • धार्मिक कट्टरता:
    हिंदू और सिख समुदाय को “जजिया” कर चुकाने और भेदभाव सहने पर मजबूर किया गया।
  • सुरक्षा का अभाव:
    हिंसा और धमकियों के कारण अधिकांश हिंदुओं ने भारत, अमेरिका, और अन्य देशों में शरण ले ली।

4. भारत में धार्मिक विविधता और शरणार्थी नीतियां

भारत ने हमेशा से पड़ोसी देशों के हिंदू शरणार्थियों को सुरक्षा दी है।

  • 2019 का नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA):
    इस कानून के तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश, और अफगानिस्तान से आए हिंदुओं, सिखों, जैनियों, और अन्य अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता देने की व्यवस्था की गई।
  • सुरक्षा और अधिकार:
    भारत ने धार्मिक विविधता और सहिष्णुता को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाए हैं।

5. संख्या में गिरावट के कारण

  • धार्मिक कट्टरता:
    पाकिस्तान, बांग्लादेश, और अफगानिस्तान में हिंदुओं को धार्मिक असहिष्णुता का सामना करना पड़ा।
  • सामाजिक और राजनीतिक उत्पीड़न:
    इन देशों में हिंदुओं के खिलाफ कानूनी और सामाजिक भेदभाव हुआ।
  • पलायन:
    हिंसा और असुरक्षा के कारण हिंदू समुदाय ने भारत और अन्य देशों की ओर पलायन किया।